UPTET Bal Vikas Evam Shiksha Shastra Abhiprerna aur Adhigam Study Material PDF

UPTET Bal Vikas Evam Shiksha Shastra Abhiprerna aur Adhigam Study Material PDF : आज की पोस्ट में आप सभी अभ्यर्थी UPTET and CTET Bal Vikas Evam Shiksha Shastra Chapter 3.5 अभिप्रेरण और अधिगम Study Material in Hindi with PDF Free Download करना जा रहे है जिसका लिंक आपको निचे टेबल में दिया जा रहा है |

UPTET Bal Vikas Evam Shiksha Shastra Book in Hindi PDF Download

Download Any Book for Free PDF BA B.Sc B.Com BBA

M.Com Books & Notes Semester Wise PDF Download 1st 2nd, Year

CCC Books & Notes Study Material in PDF Download

RRB Group D Book & Notes Previous Year Question Paper in PDF Download

B.Com Books & Notes for All Semester in Hindi PDF Download

BA Books Free Download PDF 2022 in Hindi

UPTET Bal Vikas Evam Shiksha Shastra Abhiprerna aur Adhigam Study Material PDF
UPTET Bal Vikas Evam Shiksha Shastra Abhiprerna aur Adhigam Study Material PDF

अभिप्रेरण और अधिगम Motivation & and | UPTET Bal Vikas Evam Shiksha Shastra Chapter 3.5 Study Material in Hindi

अभिप्रेरण Motivation

ली एवं लेविस (Reilly and Lewis) के अनुसार, अभिप्ररेण एक ऐसा बल है को व्यक्ति के अन्दर उत्पन्न होता है न कि कुछ ऐसी चीज जिसे शिक्षक छात्र में अपनी ओर से पैदा करते हैं।

ब्लेयर, जोंस एवं सिम्प्सन (Blair, Jones & Simpson) के अनुसार, अभिप्रेरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें शिक्षार्थी की आंतरिक शक्ति वातावरण के विभिन्न लक्ष्य वस्तुओं की ओर निर्देशित होती है।

अभिप्रेरण का वर्गीकरण

मनोवैज्ञानिकों ने अभिप्रेरण को दो भागों में बाँटा है—

1. शारीरिक या जैविक अभिप्रेरण (Physical or Biogenic Motives) शारीरिक अभिप्रेरण वैसे अभिप्रेरण को कहा जाता है जो व्यक्ति को जीवित रहने के लिए आवश्यक है और यह जन्म से ही बालक में मौजूद रहता है।

> ये अभिप्रेरण सार्विक (Universal) होते हैं, क्योंकि ये सभी व्यक्तियों में एक ही रूप में पाये जाते हैं। इनमें भूख, प्यास, नींद, दर्द-परिवर्जन इत्यादि प्रमुख हैं तथा यह सभी देश एवं काल के लोगों में एक ही रूप में पाये जाते हैं।

→ शारीरिक अभिप्रेरण से बालकों में समस्थिति (Homeostasis) अर्थात् शरीर के भीतर संतुलन बनाये रखने का गुण होता है। जैसे जब व्यक्ति को भूख लगती है, तो उसके भीतर एक तनाव उत्पन्न होता है, जिसके फलस्वरूप व्यक्ति भोजन की खोज करता है और भोजन मिलने पर तनाव कम हो जाता है।

2. अर्जित या सीखा हुआ अभिप्रेरण (Acquired or Learned Motives) अर्जित मरण ऐसे अभिप्रेरण को कहा जाता है, जिसमें निम्नलिखित विशेषताएँ होती है

स अभिप्रेरण जन्मजात नहीं होते अर्थात ऐसे अभिप्रेरकों को व्यक्ति अपने जन्म के बाद सीखता है।

आभप्रेरण सार्विक (Universal) नहीं होते हैं अर्थात ऐसे अभिप्रेरण सभी भक्तयों में नहीं होते तथा उनका रूप भी अक्सर भिन्न-भिन्न होता है। जामप्रेरण व्यक्तियों के जीवित (Survival) रहने के लिए आवश्यक नहीं होते है। जाभप्ररणों का समस्थिति (Homeostasis) से भी कोई संबंध नहीं होता है।

शक्षा के दृष्टिकोण से अर्जित अभिप्रेरण निम्नलिखित हैं-

1. उपलब्धि अभिप्रेरण (Achievement Motivation): उपलब्धि अभिप्रेरण से तात्पर्य एक ऐसे अभिप्रेरण से होता है जिससे प्रेरित होकर बालक अपने कार्य को इस ढंग से करता है कि उसे अधिक से अधिक सफलता मिल सके।

> रिली एवं लेविस (Reilly and Lewis) के अनुसार, किसी चीज को अपने में करने, उसे अच्छे से अच्छे ढंग से करने तथा उसमें विशिष्टता दिखाने की स्वीकारात्मक इच्छा को उपलब्धि अभिप्रेरण कहा जाता है।

2. संबंधन अभिप्रेरण (Affiliation motivation) अपने साथियों एवं अन्य लोगों के समूह में मान्यता प्राप्त करने की प्रवृति को संबंधन अभिप्रेरण कहा जाता है। यह अभिप्रेरण सभी उम्र के व्यक्तियों में होता है, परंतु प्रारंभिक किशोरावस्था में यानी 13___ 15 वर्ष की उम्र का अभिप्रेरण सबसे अधिक स्पष्ट एवं विशिष्ट होता है। इस अवस्था में किशोरों में अपने साथियों का समर्थन पाने तथा माता-पिता एवं शिक्षकों की प्रशंसा । पाने की इच्छा तीव्रतम होती है।

3. चिंता ह्रास (Anxiety Reduction) चिंता ह्रास का अभिप्राय बालकों में सीखे जाने वाले पाठ के प्रति तनाव तथा चिंता को बिल्कुल ही समाप्त करने से नहीं, बल्कि चिंता के स्तर को इस लायक बनाकर रखने से होता है जो उसे पाठ को सीखने में मदद कर सके।

> शिक्षकों के लिए चिंता ह्रास का आशय है उन्हें वर्ग में छात्रों के चिंता स्तर को

संतुलित बिंदु पर रखना चाहिए ताकि वे उनके शिक्षण से अधिकतम लाभ उठा सकें।

4. सत्ता अभिप्रेरण (Power motivation) सत्ता अभिप्रेरण मानव के बहुत से व्यवहारों का आधार होता है। उनके अनुसार व्यक्ति हीनता के भाव को नहीं बर्दाश्त कर सकता है, बल्कि उसके स्थान पर श्रेष्ठता का भाव विकसित कर लेता है। – इसी भावना के कारण वह उन सभी कार्यों को करने के लिए अभिप्रेरित हो उठता है, जिनसे उसमें नियंत्रण करने, प्रभुत्व दिखाने एवं सत्ता में रहने के भाव की उत्पत्ति होती है। बालक तीव्रता से उन क्रियाओं को करना सीख लेता है, जिनसे उनमें श्रेष्ठता, सत्ता एवं दूसरों को नियंत्रित करने का भाव उत्पन्न होता है। उन कार्यों से दूर रहना सीख लेता है, जिनसे उनमें हीनता या लाचारी का भाव उत्पन्न होता है।

5. आक्रमणशीलता का अभिप्रेरण (Motive of aggressiveness): आक्रम शीलता भी एक प्रमुख अर्जित अभिप्रेरक हैं, जिसमें एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को शाब्दिक रूप से या शारीरिक रूप से चोट पहुँचाने या आघात पहुँचाने की कोशिश करता है अनमोदन अभिप्रेरण (Approval motivation) अनमोदन अभिप्ररण तात्पर्य व्यक्ति द्वारा धनात्मक मूल्यांकन यानी प्रतिष्ठा, प्रशंसा इत्यादि पाने की उम्मीद से होता है। 6 वर्ष से कम उम्र के बालकों में माता पिता का अनुमोदन पाने की तीव्र इच्छा होती है। जब बालक स्कूल में प्रवेश करते हैं तब वे शिक्षक, साथियों तथा अपने से अधिक उम्र के बालकों से अनुमोदन के लिए प्रयत्नशील रहते हैं।

UPTET Bal Vikas Evam Shiksha Shastra Book in Hindi PDF Download

Download Any Book for Free PDF BA B.Sc B.Com BBA

M.Com Books & Notes Semester Wise PDF Download 1st 2nd, Year

CCC Books & Notes Study Material in PDF Download

RRB Group D Book & Notes Previous Year Question Paper in PDF Download

B.Com Books & Notes for All Semester in Hindi PDF Download

मैस्लो  का अभिप्रेरणा सिद्धांत Maslow’s Law of Motivation

सलो के अभिप्रेरणा सिद्धांत को आवश्यकता का सिद्धांत कहा जाता है। मैसले ने ध्यकता के सिद्धांत को 5 शृंखलाबद्ध क्रम में विभाजित किया है।

स्वयं यर्थाथीकरण

सम्मान/आदर

सामाजिक आवश्यकता

सुरक्षा आधारभूत आवश्यकता (रोटी. कपड़ा और मकान)

सीखने में अभिप्रेरण का महत्व Importance of Motivation in Learning – मेल्टन (Melton) के अनुसार, “अभिप्रेरण सीखने की एक आवश्यक शर्त है।” एण्डरसन (Anderson) के अनुसार, “सीखने की प्रक्रिया अच्छी तरह तभी होगी जबकि अभिप्रेरण होगा।’

शिक्षा मनोवैज्ञिानिकों ने अभिप्रेरण को राजकीय मार्ग कहा है। अभिप्रेरण का प्रभाव सीखने की प्रक्रिया को प्रभावित करता है। जो इस प्रकार हैसीखने का उद्देश्य (Purpose to Learn) पुरस्कार एवं दंड (Reward and Punishment) प्रगति तथा परिणाम का ज्ञान (Knowledge of Progress and Results) प्रशंसा एवं निंदा (Praise and Reproof) स्पर्धा, प्रतियोगिता तथा सहयोगिता (Rivalry, Competition and Operation) लक्ष्य निर्धारण व्यवहार या आकांक्षा स्तर प्रोत्साहन के रूप में सामाजिक अनुमोदन प्रोत्साहन के रूप में व्यावसायिक लक्ष्य परीक्षोपयोगी तथ्य आभप्रेरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें शिक्षार्थी की आंतरिक शक्ति वातावरण के विभिन्न लक्ष्य वस्तुओं की ओर निर्देशित होती है। शारारिक अभिप्रेरण जन्म से ही बालक में मौजूद रहते हैं जैसे नीद, भूख, प्यास, दर्द-परिवर्जन इत्यादि।

> शारीरिक अभिप्रेरण से बालकों में समस्थिति (Homeostasis) अर्थात् शरीर के अंदर संतुलन बनाये रखने का गुण होता है।

> अर्जित अभिप्रेरण जन्म के बाद बालक सीखता है।

> मैसले के अभिप्रेरणा के सिद्धांत को आवश्यकता का सिद्धांत भी कहा जाता है।

Download Bal Vikas Evam Shiksha Shastra Chapter 3.5 अभिप्रेरणा और अधिगम in PDF

Bal Vikas Evam Shiksha Shastra Chapter 3.5 in PDFDownload

Follow On Facebook Page

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*